मास्को। कोरोना महामारी ने पूरे विश्व को झकझोर दिया है। अमेरिका, ब्राजील के बाद अब भारत कोरोना महामारी से बुरी तरह प्रभावित है। महामारी के इस दौर में अब सभी देशों की सरकारें टीकाकरण पर खासा जोर दे रही हैं। भारत देशी वैक्सीन के अलावा विदेशी वैक्सीन भी आयात कर रहा है। रूस की स्पुतनिक वी (Sputnik V) वैक्सीन को भारत में मंजूरी मिल गई है। हालांकि, स्पुतनिक वी के उत्पादन पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं, जिस इस हिसाब से इस स्पुतनिक वी ने कई देशों को वैक्सीन देने का आर्डर लिया है उस हिसाब से इसका उत्पादन बहुत धीमा है। स्पुतनिक वी के भारी मात्रा में खुराक बनाना, योग्य कर्मचारियों को ढूंढना और उपकरण प्राप्त करना मास्को स्थित बायोटेक फर्म आर फार्म और अन्य निजी रूसी कंपनियों के लिए बहुत बड़ा सिरदर्द बना हुआ है।राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दुनियाभर में वैक्सीन की 700 मिलियन खुराक के उत्पादन के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे। रायटर टैली के अनुसार रूस ने 12 मई तक केवल 33 मिलियन टीकों का ही उत्पादन किया है और 1.5 मिलियन से कम का निर्यात किया था। इनमें प्रत्येक टीके को दो खुराकों के रूप में गिना जाता है। फाइजर और एस्ट्राजेनेका द्वारा हर महीने किए जा रहे करोड़ों की तुलना में रूस की स्पुतनिक वी का उत्पादन बहुत कम है।उत्पादन प्रक्रिया में शामिल चार निर्माताओं और दो लोगों के साथ हुई बातचीत से रूस की आपूर्ति श्रृंखला इस बात पर प्रकाश डालती है कि स्पुतनिक वी को बनाना और उत्पादन को बढ़ाना कितना मुश्किल काम है। उत्पादन की यह समस्याएं विदेशी भागीदारों के लिए एक चेतावनी है, जिसमें भारत भी शामिल है, जो बड़े पैमाने पर वैक्सीन का उत्पादन करने की योजना बना रहे हैं और वे देश जो अपने टीकाकरण कार्यक्रमों की आपूर्ति के लिए मास्को पर निर्भर हैं।