तेहरान:- ईरान की संसद के अध्यक्ष मुहम्मद बकर कलीबफ ने रविवार को कहा कि तेहरान और संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था के बीच तीन महीने का निगरानी समझौता शनिवार को समाप्त हो गया है। इसलिए अब तेहरान अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (International Atomic Energy Agency) को अपने नाभिकीय ठिकानों की तस्वीरें नहीं खींचने देगा। ईरान और छह देशों के बीच 1915 के परमाणु समझौते को पुनर्जीवित करने के प्रयासों पर इससे असर पड़ सकता है। दूसरी तरफ, आइएईए के प्रमुख निगरानी की समय सीमा बढ़ाने को लेकर ईरान के साथ वार्ता कर रहे हैं।सरकारी टीवी ने मुहम्मद बकर कलीबफ के हवाले से बताया कि 22 मई को तीन महीने का समझौता बीतने के बाद से एजेंसी को नाभिकीय परिसरों के अंदर की तस्वीरें नहीं खींचने दी जाएगी। 2018 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा समझौते से बाहर आने और ईरान पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से ईरान धीरे-धीरे समझौते के प्रविधानों को तोड़ने लगा था। इस समझौते का मकसद ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकना है।दूसरी तरफ ईरान का कहना है कि वह कभी परमाणु हथियार नहीं बनाना चाहता था। फरवरी में आइएईए और ईरान नाभिकीय ठिकानों की निगरानी और सत्यापन के लिए राजी हो गए थे। 2017 में आइएईए ने कहा था कि उसने अपने उन्नत निगरानी कैमरों के जरिये खींची गई हजारों तस्वीरों का विश्लेषण किया है। इसके अलावा इसने नाभिकीय सामग्री और उपकरणों को सीलबंद भी कर दिया है।