करवा चौथ का पर्व मुख्य रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु, सुरक्षा, और सुख-समृद्धि के लिए मनाया जाता है. इसका धार्मिक, सांस्कृतिक और पौराणिक महत्व है, जो इसे एक विशेष और महत्वपूर्ण त्योहार बनाता है. करवा चौथ के व्रत से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं और कहानियां हैं,जो करवा चौथ व्रत का महत्व और इसे मनाने का कारण बताती हैं.
करवा चौथ हिंदू धर्म में विवाहित महिलाओं द्वारा रखा जाने वाला एक महत्वपूर्ण व्रत है. यह व्रत पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना के लिए किया जाता है. इस व्रत का धार्मिक महत्व तो है ही, साथ ही यह पति-पत्नी के रिश्ते को और मजबूत बनाने में भी मदद करता है. करवा चौथ व्रत का व्रत पति की लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन की कामना से किया जाता है. यह व्रत पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास को बढ़ाता है. माना जाता है कि यह व्रत महिलाओं को सौभाग्य प्रदान करता है. यह व्रत हिंदू धर्म की परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इसलिए यह व्रत भारतीय संस्कृति का एक अहम हिस्सा है और पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है. आइए जानते हैं कि करवा चौथ व्रत क्यों मनाया जाता है.
करवा चौथ व्रत तिथि और शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 20 अक्टूबर दिन रविवार को सुबह 6 बजकर 46 मिनट से शुरू होगी और यह तिथि 21 अक्टूबर को सुबह 4 बजकर 16 मिनट तक रहेगी. ऐसे में उदया तिथि के मुताबिक, करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर 2024, दिन रविवार को रखा जाएगा. करवा चौथ के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 20 अक्टूबर की शाम 5 बजकर 46 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 02 मिनट तक रहेगा. इस समय पूजा करना बहुत ही शुभ रहेगा.
क्यों मनाया जाता है करवा चौथ?
वीरवती की कथा: पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन काल में वीरवती नाम की एक सुंदर और धर्मनिष्ठ राजकुमारी थी. वह अपने सात भाइयों की इकलौती बहन थी. विवाह के बाद, वीरवती ने पहली बार अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखा. उसने दिनभर अन्न-जल ग्रहण नहीं किया और पूरी श्रद्धा के साथ व्रत का पालन किया. लेकिन दिन ढलते-ढलते भूख और प्यास के कारण वह अत्यधिक कमजोर हो गई. वीरवती की यह दशा देखकर उसके भाई चिंतित हो गए. वे अपनी बहन की हालत देखकर दुखी हो गए और उसे व्रत तोड़ने के लिए मनाने लगे, लेकिन वीरवती ने कहा कि जब तक चंद्रमा उदित नहीं होता, वह व्रत नहीं तोड़ेगी. वीरवती के भाइयों ने अपनी बहन की हालत देखकर एक उपाय सोचा. उन्होंने पेड़ की आड़ में छल से एक दर्पण का उपयोग करके नकली चंद्रमा बना दिया. भाइयों ने वीरवती से कहा कि चंद्रमा निकल आया है और उसे देखकर व्रत तोड़ लो. वीरवती ने वह नकली चंद्रमा देखकर व्रत तोड़ दिया और जल ग्रहण कर लिया. जैसे ही उसने व्रत तोड़ा, उसे यह सूचना मिली कि उसका पति गंभीर रूप से बीमार हो गया है. वीरवती को तुरंत आभास हुआ कि उसने चंद्रमा की पूजा किए बिना और सही समय से पहले व्रत तोड़ दिया, जिसके कारण यह अनहोनी हुई. वह अत्यधिक दुखी हुई और पश्चाताप करने लगी. अपने पति की लंबी आयु के लिए वीरवती ने दृढ़ संकल्प किया और पूरी श्रद्धा के साथ करवा चौथ का व्रत फिर से रखा. उसकी भक्ति और समर्पण से प्रसन्न होकर माता पार्वती ने उसे आशीर्वाद दिया और उसका पति स्वस्थ हो गया.
महाभारत काल से जुड़ी कथा: महाभारत में भी एक कहानी है जो करवा चौथ से जुड़ी हुई है. जब अर्जुन युद्ध करने नीलगिरी पर्वत पर गए थे, तो द्रौपदी बहुत चिंतित थीं. उन्होंने भगवान कृष्ण से अपने पति की सुरक्षा के लिए मार्गदर्शन मांगा. कृष्ण ने उन्हें करवा चौथ का व्रत रखने और शिव-पार्वती की पूजा करने की सलाह दी. द्रौपदी ने व्रत रखा, जिससे अर्जुन सुरक्षित रहे. कथाओं में इस कहानी को भी करवा चौथ से जोड़ कर देखा जाता है.
करवा और पति की कथा: तीसरी प्रसिद्ध कथा करवा नामक महिला की है, जो अपने पति के प्रति अत्यधिक समर्पित थी. एक दिन जब उसका पति नदी में स्नान कर रहा था, तब एक मगरमच्छ ने उसे पकड़ लिया. करवा ने अपने पति की रक्षा के लिए दृढ़ संकल्प किया और मगरमच्छ को एक सूती धागे से बांध दिया. फिर उसने यमराज से प्रार्थना की कि मगरमच्छ को दंड दें और उसके पति की रक्षा करें. यमराज करवा के समर्पण से प्रभावित हुए और मगरमच्छ को दंडित किया औरउसके पति को दीर्घायु का आशीर्वाद दिया. इस तरह की और भी पौराणिक कथाएं हैं जिन्हें करवा चौथ के व्रत से जोड़कर देखा जाता है.
करवा चौथ व्रत का महत्व : करवा चौथ एक ऐसा त्योहार है जो विवाहित महिलाओं के लिए बेहद खास होता है. यह त्योहार पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना के लिए मनाया जाता है. माना जाता है कि इस व्रत को रखने से पति की उम्र लंबी होती है. करवा चौथ का व्रत पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास को बढ़ाता है. यह व्रत दोनों के बीच के बंधन को और मजबूत बनाता है. यह व्रत महिलाओं को सौभाग्य प्रदान करता है. माना जाता है कि इस व्रत को रखने से महिलाएं सुखी और समृद्ध जीवन जीती हैं. करवा चौथ भारतीय संस्कृति का एक अहम हिस्सा है और पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है. यह त्योहार महिलाओं को एक साथ लाता है और उन्हें एक-दूसरे के साथ जुड़ने का मौका देता है.